Friday 29 July 2011

तल्खियों की बदजुबानी

तल्खियों की बदजुबानी
में भी होती है कहानी
दिल का बह जाता ज़हर सब
बचता है मीठा सा पानी

गम की हर एक धूप ढल जाती है
कितनी भी चटख हो
सुख के बादल जब बरसते है
ज़मीं हो जाती धानी

जिंदगी को मुस्कुरा कर
देख लो बस एक नज़र भर
सबकी एक जैसी ही है
तेरी हो या मेरी कहानी

8 comments:

  1. जिंदगी को मुस्कुरा कर
    देख लो बस एक नज़र भर
    सबकी एक जैसी ही है
    तेरी हो या मेरी कहानी
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दिल से निकला वाह वाह ...

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  2. एक सुझाव वर्ड वरिफिकेसन हटा दें तो अच्छा रहेगा वैसे मर्जी है आपकी ....

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  3. Sunil ji ..ye bhi bata dijiyer kaise hataun word verification???

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  4. गम की हर एक धूप ढल जाती है
    कितनी भी चटख हो
    सुख के बादल जब बरसते है
    ज़मीं हो जाती धानी

    सुंदर...... सकारात्मक सोच लिए पंक्तियाँ

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  5. Dashboard > Settings> Comments > isme neeche jaye wahan ek option Show word verification for comments milega..... 'No' Select karen... :)

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  6. behatreen likha hai aapne...

    humara bhi hausla badhaaye:
    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  7. सही कहा है आपने -
    "सबकी एक जैसी ही है
    तेरी हो या मेरी कहानी"...

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  8. आदरणीया रंजना जी
    सस्नेहाभिवादन !

    सुंदर चित्रों के साथ आपके सुंदर भावों का मिश्रण मन को भाता है-
    गम की हर एक धूप ढल जाती है
    कितनी भी चटख हो
    सुख के बादल जब बरसते है
    ज़मीं हो जाती धानी

    वाऽऽह्… ! बहुत ख़ूबसूरत !

    …लेकिन बहुत समय से आपने नई रचना क्यों नहीं लगाई ?

    मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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