Saturday 3 December 2011














तब्दील हो रही हैं शायद मेरी आंखे
चलते फिरते कैमरे में
दीवारों पर परछाइयों की आड़ी टेढ़ी रेखाएं
ढलते सूरज की सुनहरी धूप का पीलापन
पत्तों पर जमी हुई ओस
या हवा के थपेड़ों में लहराते पेड़
हर एक पल समेट लेना चाहती हूँ
ताकि लम्हे के गुज़र जाने के बाद भी
थमा सा रह जाये वो लम्हा कहीं
इस बार क्रिसमस पर संता क्लाउस
तुम मेरे पास ज़रूर आना
और देना मुझे मेरा गिफ्ट
एक डिजिटल एसएलआर
क्योंकि अब मेरा नन्हा सा डिजिटल केमरा
मेरी सोच की उड़ान के साथ दौड़ नहीं पाता
और पूरी मेहनत के बाद भी सुकून न मिले
ये मुझे नहीं भाता

Friday 29 July 2011

तल्खियों की बदजुबानी

तल्खियों की बदजुबानी
में भी होती है कहानी
दिल का बह जाता ज़हर सब
बचता है मीठा सा पानी

गम की हर एक धूप ढल जाती है
कितनी भी चटख हो
सुख के बादल जब बरसते है
ज़मीं हो जाती धानी

जिंदगी को मुस्कुरा कर
देख लो बस एक नज़र भर
सबकी एक जैसी ही है
तेरी हो या मेरी कहानी

Friday 17 June 2011
















Melting beauty

नौकुचिया ताल (नैनीताल)




















सूनी सी आँखों में आओ कुछ सपने बो देते हैं....
गम के हरएक लम्हे को खुशियों से धो देते हैं.














नर्मियों के दर्मियाँ जब नर्मियां रह जाएँगी...
ठन्डे से रिश्तों में भी कुछ गर्मियां रह जाएँगी.














बूंदे इंसानों सी लगती हैं कभी कभी....
जिंदगी की डोर थामे हुए सरकती रहती है
ये जाने बिना की कौन सी बूँद कब टपक जाएगी.



















मेरी परी ...सोने सी खरी...:)