तल्खियों की बदजुबानी
में भी होती है कहानी
दिल का बह जाता ज़हर सब
बचता है मीठा सा पानी
गम की हर एक धूप ढल जाती है
कितनी भी चटख हो
सुख के बादल जब बरसते है
ज़मीं हो जाती धानी
जिंदगी को मुस्कुरा कर
देख लो बस एक नज़र भर
सबकी एक जैसी ही है
तेरी हो या मेरी कहानी
Friday 29 July 2011
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